मैथिलीशरण गुप्त एवं काव्य रचनाएँ
मैथिलीशरण गुप्त
“जाति-धर्म या सम्प्रदाय का नहीं भेद-व्यवधान यहां
सबका स्वागत, सबका आदर सबका सम सम्मान यहां”
‘मैथिलीशरण गुप्त’
जन्म : 3 अगस्त 1886 चिरगाँव, झाँसी (उत्तर प्रदेश), ब्रिटिश भारत।
मृत्यु : 12 दिसंबर 1964
साहित्यक उपनाम : 'दद्दा'।
व्यवसाय व कार्य : कवि, राजनेता, नाटककार, अनुवादक।
विशेषज्ञता : हिंदी साहित्य व खड़ी बोली के काव्य रचनाकार।
(आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से खड़ी बोली को अपनी काव्य रचना का माध्यम बनाया)
प्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह (वर्ष 1910) : “रंग में भेद” ।
अनुवादक : बंगाली काव्यग्रंथ "मेघनाथ वध" को ब्रज भाषा में “ब्रजांगना” नाम से (इंडियन प्रेस द्वारा पब्लिश) तथा संस्कृत ग्रंथ "स्वपनवासवदत्ता" का अनुवाद किया।
उल्लेखनीय रचनाएं : भारत – भारती, पंचवटी, सिद्धराज, साकेत, यशोधरा, जयद्रथ वध, विश्ववेदना इत्यादि।
सम्मान :
• महात्मा गांधी द्वारा 'राष्ट्रकवि' की पदवी दी गयी वर्ष 1932 ।
• हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार (साकेत के लिए,1935) ।
• मंगलाप्रसाद पुरस्कार : साकेत के लिए (हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा, 1937) ।
• साहित्यवाचस्पति : 1946
• पद्मभूषण : 1954
विशेषकर पढ़ने योग्य:
• स्वभाव से लोकसंग्रही कवि रहे , गुप्त अपने युग की समस्याओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहे।
• 'अनघ' से पूर्व की रचनाओं में, विशेषकर “जयद्रथ-वध” और “भारत भारती” में उनका क्रान्तिकारी स्वर सुनाई पड़ता है।
• वैष्णव भावना से पारिपोषित उनका युवा काव्य मन जो लाला लाजपत राय, तिलक, विपिनचंद्र पाल, गणेश शंकर विद्यार्थी और मदनमोहन मालवीय से प्रेरित होने के साथ ही महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, और विनोबा भावे के सम्पर्क में आने के बाद गांधीवाद के व्यावहारिक पक्ष और सुधारवादी आन्दोलनों का समर्थक भी बना।
◾️ काव्य रचनाओं से सम्बन्धी विशेष जानकारी 👇
जायसी (पदमावत—56-57 खंड)
नरपति नाल्ह (बीसलदेव रासो—4 खंड)
चंदबरदाई (पृथ्वीराज रासो— 69 समय)
सूरदास (सूरसागर —12 सकन्ध)
ज्योतिरीश्वर ठाकुर (वर्ण रत्नाकर—8 कल्लोल)
तुलसीदास (रामचरितमानस—7 कांड)
केशवदास (रामचन्द्रिका—39 प्रकाश)
बिहारी (बिहारी सतसई—713 दोहे)
सेनापति (कवित्त रत्नाकर—5 तरंग 394 छंद)
हरिऔध (प्रियप्रवास—17 सर्ग)
हरिऔध (वैदेही वनवास—18 सर्ग)
मैथिलीशरण गुप्त (साकेत—12 सर्ग)
जयशंकर प्रसाद (कामायनी—15 सर्ग)
मुक्तिबोध (अँधेरे में—8खंड 71 बन्ध)
◾️हिंदी आलोचना 👇👇
1 “आलोचना समुच्चय ” आलोचना संग्रह का प्रकाशन किया। ~महावीर प्रसाद द्विवेदी
2 मिश्रबंधु विनोद किस काल में लिखा गया।~ द्विवेदी युग
3 हिंदी की प्रथम व्यवहारिक स्मीक्षा समाहित ह ।~सयोंगीता स्वयंवर
4 देखिये मार्क्सवाद सीखाता ह की हर चीज पर डाउट करो।कथन~ रामविलासशर्मा
5तुलसी को सर्वश्रेष्ठ कवि मानने वाले आलोचक।~शुक्ल
6हिंदी के सर्वश्रेष्ठ समालोचक।~शुक्ल
7द्विवेदी युग के साहित्यकारों के दोषो का उदघाटन करने वाले आलोचक।~नन्ददुलारे वाजपेयी
8 मानवीय मूल्यों में गहन आस्था रखने वाले आलोचक।~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
9 मनुष्यता को साहित्य और रस का पर्याय मानने वाले आलोचक।~ हजारी प्रसाद द्विवेदी
10 वर्ण भेद के आधार प समीक्षा करने वाले आलोचक।~डॉ रामविलास शर्मा
11आ.हजारी प्रसाद द्विवेदी के समर्थक आलोचक।~डॉ नामवर सिंह
12 फ्रायड के मनोविज्ञान से प्रभावित आलोचक।~ नगेन्द्र
13 समकालीन समीक्षा की दोनों धारा वस्तुवाद और भाववाद का समन्वय का प्रयास किया ह।-रामस्वरूप चतुर्वेदी
14आलोचना के नवीन मानदण्डों की स्थापना करने वाले आलोचक।~शुक्ल
15 दार्शनिक अनुशासन के आलोचक।~ डॉ देवराज
◾️श्रृंगारिक रचनाएँ–👇👇
शृंगार निर्णय:- भिखारीदास
शृंगार विलाश:-सोमनाथ
शृंगार मंजरी:-चिन्तामणि
श्रृंगार मंजरी:-प्रताप साही
शृंगार शिरोमणि:-प्रताप साही व यसवंत सिंह की भी है
शृंगार भूषण:-बेनी प्रवीण
शृंगार लतिका:-द्विज देव
शृंगार चालीसा:-द्विज देव
शृंगार बत्तीसी:-द्विज देव
शृंगार लता:-सुख देव
शृंगार सोरठा:-रहीम
शृंगार सागर:-मोहन लाल मिस्र
शृंगार रस माधुरी:-कृष्ण भट्ट देवऋषि
काव्यालोक :-रामदहिन् मिश्र
काव्य विवेक:-चिन्तामणि
काव्य प्रकाश:-चिन्तामणि
काव्य सरोज:- श्रीपति
काव्य निर्णय:-भिखारीदास
काव्य कलाधर:-रघुनाथ
काव्य विलाश:-प्रताप
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