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*संधिपद-विच्छेद-जिन स्वरों में संधि हुई* दर्शनार्थ-दर्शन + अर्थ-अ + अ= आ (दीर्घ) दावाग्नि-दाव + अग्नि-अ + अ= आ (दीर्घ) दावानल-दाव + अनल-अ + अ= आ (दीर्घ) देवर्षि-देव + ऋषि-अ + ऋ= अर् (गुण) देवेश-देव + ईश-अ + ई= ए (गुण) देवेन्द्र-देव + इन्द्र-अ + इ= ए (गुण) देवागमन-देव + आगमन-अ + आ= आ (दीर्घ) देव्यागम-देवी + आगम-ई + आ= या (यण) दूतावास-दूत + आवास-अ + आ= आ (दीर्घ) देशाटन-देश + अटन-अ + अ= आ (दीर्घ) दीपावली-दीप + अवली-अ + अ= आ (दीर्घ) द्रोणाचार्य-द्रोण + आचार्य-अ + आ= आ (दीर्घ) दंडकारण्य-दंडक + अरण्य-अ + अ= आ (दीर्घ) दक्षिणायन-दक्षिण + अयन-अ + अ= आ (दीर्घ) दध्योदन-दधि + ओदन-इ + ओ= यो (यण) दर्शनेच्छा-दर्शन + इच्छा-अ + इ= ए (गुण) दशानन-दश + आनन-अ + आ= आ (दीर्घ) दयानंद-दया+ आनंद-आ + आ= आ (दीर्घ) दानवारि-दानव + अरि-अ + अ=आ (दीर्घ) दासानुदास-दास + अनुदास-अ + अ=आ (दीर्घ) दिनांक-दिन + अंक-अ + अ=आ (दीर्घ) दिनांत-दिन + अन्त-अ + अ=आ (दीर्घ) दिव्यास्त्र-दिव्य + अस्त्र-अ + अ=आ (दीर्घ) दीक्षान्त-दीक्षा + अन्त-आ + अ= आ (दीर्घ) दीपोत्सव-दीप + उत्सव-अ + उ= ओ (गुण) दूरागत-दूर + आगत-अ + आ= आ (दीर्घ) देवालय-दे